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Tuesday 24 March 2009

एक फूल तो देकर देखिए

अधिकांश बच्चों के एग्जाम या तो हो चुके हैं या खत्म होने को हैं। अच्छा रिजल्ट लाने वाले बच्चों को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उनकी इस सफलता के लिए पेरेंट्स ने भी रातें काली की हैं। रिजल्ट बिगड़ जाए तो यह आपकी मेहनत में कमी का नतीजा है, पेरेंट्स ने तो आपकी परेशानी दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।अच्छे रिजल्ट से उत्साहित बच्चे स्कूल में थैंक्यू मेम, थैंक्यू टीचर कहते नहीं थकते लेकिन घर आते-आते उन्हें लगने लगता है यह सफलता तो उनकी अपनी है। चलिए इसी में खुश रहिए, लेकिन इस बार जब रिजल्ट लेकर जाएं तो साथ में कुछ फूल या अपनी भावनाओं को जाहिर करता एक पत्र पेरेंट्स के हाथों में रिजल्ट के साथ थमाएं और उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी करें। डबडबाई आंखों को आप भूल नहीं पाएंगे जब आप खुद पेरेंट्स बनेंगे तब समझ आएगी इन आंसुओं और मुस्कान की भावना।
इनसे सीखें तनाव में भी संयम नहीं खोना
आयकर सवेü टीम के नाम से ही कई प्रतिष्ठानों का पसीना छूटने लगता है लेकिन (विशाल ज्वेलर्स) गुप्ता और बंसल परिवार ने तनाव के इन घंटों में खुद को संयमित तो रखा ही आसपास के दुकानदारों को भी समझाया जांच हमारे यहां चल रही है आप सब क्यों प्रतिष्ठान बंद कर रहे हैं। इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संचालकों ने जिस तरह आयकर सवेü टीम को सहयोग किया वह बाकी प्रतिष्ठानों के लिए उदाहरण भी हो सकता है। विभाग के सवेü का जो भी परिणाम आए, विभाग को ऐसे व्यापारियों को प्रोत्साहन पत्र तो देना ही चाहिए। क्योंकि गुप्ता और बंसल परिवार जैसे व्यापारी अच्छी तरह जानते हैं कि बिजनेस में ऐसी चुनौतियों का सामना भी करना ही पड़ेगा। आयकर विभाग टीम को ऐसा अच्छा अनुभव बहुत कम ही मिलता है। इस सवेü कार्रवाई से विभाग की यह छवि भी सामने आई है कि सवेü करने वाले भी इतना बुरा व्यवहार नहीं करते।
बाकी बच्चों को बचाने कौन आएगा
कालियां गांव में एक बच्चे की डिग्गी में डूब जाने से मौत हो गई। इस परिवार के आंसू सूख चुके हैं लेकिन दोनों जिलों में खुली डिçग्गयों में डूबने से फिर किसी घर का चिराग न बुझे यह सजगता तो जिला प्रशासन को ही दिखानी होगी। संगरिया के शुभम गर्ग ने तो तत्परता दिखाकर दिवांशु को डूबने से बचा लिया। लगता है शुभम के इस साहस पर प्रशासन तो आराम से चिंतन करेगा। लेकिन ऐसी खतरनाक डिçग्गयों के मालिक यह सोचकर ही जाग जाएं कि उनके बच्चे भी खेत-मकानों में खेलते रहते हैं।
आखिर क्या हो रहा है पुलिस को
हनुमानगढ़ में पुलिस के दिन अच्छे नहीं चल रहे। एक के बाद एक घटना होती जा रही हैं। अभी भादरा में स्कूली छात्रा कृष्णा जोगी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, इससे पहले नोहर में श्यामलाल महिपाल के यहां लाखों की चोरी, जंक्शन में दुगाü कॉलोनी निवासी रामकिशोर गर्ग के घर के बाहर खड़े पिकअप वाहन की चोरी। बड़े अधिकारियों ने थाने वालों की çढलाई पर खीझ भी उतारी लेकिन इन घटनाओं के आरोपी तो नहीं मिले। बाकी छोटी-मोटी वारदात तो हो ही रही है। बुजुगोZ की सार-संभाल करना पुलिस का अच्छा कदम है, लेकिन ये बुजुर्ग भी नहीं चाहेंगे कि बाकी लोगों का पुलिस से विश्वास ही उठने लग जाए।
लीजिए हंसिए, डाक्टर को कम बिल चुकाना पड़ेगा
होली के इस मौसम में एक सच्चा किस्सा जान लीजिए और हंसिए जी भर के, लेकिन सबक याद रखिए कि कुछ भी खरीदारी करने जाएं बिल जरूर लीजिए। महीनों से हम जिस दूधिये से दूध लगाए हुए थे, उसे ख्0 रु. लीटर के भाव से भुगतान कर रहे थे। कुछ हमारा विश्वास और कुछ उसका मुस्कुराता चेहरा, लिहाजा हर बार बिना बिल के ही भुगतान करते रहे। अभी जब बाइक के बदले पिकअप टेंपो से खुद मालिक जसविंदर दूध बांटने आने लगा तो हमने शिकायत की, अपनी व्यवस्था सुधार ली, कुछ दूध की क्वालिटी भी सुधारिए। उनका जवाब सुनने के बाद हमारी हालत ऐसी थी कि दूध के बर्तन में कूदकर आत्महत्या कर लें। जवाब था कि ये जो दूध आप रोज लेते रहे हैं क्म् रु. लीटर का है। आप ख्0 रु. लीटर का पेमेंट करते रहे तो बिल दिखाइए! मेरे यहां से तो आपके नाम बिल पेटे क्म् रु. भाव से ही पैसा जमा हुआ है। अब हमारी शर्म से पानी-पानी होने जैसी स्थिति थी जब पड़ोसियों ने बताया हम तो क्म् रु. के भाव से ही बिल चुकाते हैं, तो हमें सीख मिली है कि जहां तक संभव हो बिल लेना ही चाहिए। हमारा यह मूखü दिवस भी मना अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के दिन। इस ठोकर खाने के बाद यह भी समझ आया कि महिलाएं कोई भी सामान खरीदने से पहले दस बार मोल भाव क्यों करती हैं। जाहिर है आपको हमारी मूखüता पर हंसी आई ही होगी। दिल खोलकर हंसिए क्योंकि जितना ज्यादा हंसेंगे और हंसाएंगे स्वास्थ्य बेहतर रहेगा और आपको डाक्टर का कम से कम बिल चुकाना पड़ेगा।
अगले हपते फैरूं, खमा घणी-सा...

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