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Wednesday 18 February 2009

व्हाइट हाउस ने तो मान बढ़ा दिया मायड़ भाषा का

मायड़ भाषा को व्हाइट हाउस में तो सम्मान मिल गया। बराक ओबामा की इस पहल से निश्चय ही सारा राजस्थान और मायड़ भाषा के मान-सम्मान की वर्षों से लड़ाई लड़ रहे रणबांकुरे खुश होंगे। ऐसा सम्मान हमारी संसद से कब मिलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह काम जितनी आसानी से किया है काश उतनी ही सरलता से भारतीय संसद भी यह कर दिखाए तो मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने के लिए संघर्षरत लक्ष्मणदास कविया, राजेंद्र बारहठ, विनोद स्वामी, सत्यनारायण सोनी, हरिमोहन सारस्वत, रामस्वरूप किसान सहित इस भाषा के साहित्यकार, सांस्कृतिककर्मी आत्मग्लानि के बोझ से मुक्त हो जाएं। मुझे लगता है भाषा को मान्यता के इस आंदोलन की सफलता के मार्ग में हमारी सोच ही सबसे बड़ी परेशानी भी बनी हुई है। चार कोस पर पानी और आठ कोस पर वाणी बदल जाने के बाद भी लोग दबी-छुपी जुबान से इस भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की बात तो करते हैं लेकिन अपने जिले, समाज, संगठन की सीमा में प्रवेश करते ही उन सभी के स्वर बदल भी जाते हैं। मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी आदि क्षेत्रों में जिस दिन मायड़ भाषा के लिए `मिले सुर मेरा तुम्हारा´ गीत वाला भाव नजर आने लगेगा उस दिन मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अब मुख्यमंत्री ही कुछ करेंगे?
मायड़ भाषा की उपेक्षा जैसा ही भाव हमारे दोनों जिलों की रेल सुविधाओं के मामले में भी है। जनप्रतिनिधि दिल्ली, जयपुर में यदि वाकई एकजुटता दिखाते तो इस चुनावी रेल बजट में कुछ तो झपटकर ला ही सकते थे। वो सब तो ठंडे साबित हुए ही, रेलमंत्री से सुविधाएं मांगने वाले संगठन भी ऐन वक्त पर जागे, वैसे इस रेतीले राजस्थान का किसान जरूर महीनों पहले झोपड़े को बारिश से बचाने की तैयारी कर लेता है। राजस्थान को आईआईटी, आईआईएम मिलने का कारण यदि मुख्यमंत्री गहलोत के केंद्र से अच्छे संबंध बताए जा रहे हैं तो क्या मान लिया जाए कि मायड़ भाषा, रेल सुविधाओं के लिए भी वे केंद्र को राजी कर लेंगे।
क्यों घेरना पड़ा कार्यालय
अभियान यदि पूरी ईमानदारी से नहीं चले तो क्या होता है? इसका जवाब दिया है पीलीबंगा के लोगों ने, अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर नगरपालिका ने यदि पारदशिüता रखी होती तो तहसीलदार को खरी-खोटी नहीं सुननी पड़ती, एसडीएम कार्यालय का घेराव नहीं होता। अच्छा हो कि जिला प्रशासन पंच परमेश्वर के रूप में अपना फैसला शीघ्र सुनाए। जब प्रशासन से आम लोगों का विश्वास उठ जाता है, उसके बाद अधिकारी चाहे जितने ईमानदार-कत्तüव्यनिष्ठ हों उन्हें भी लोग शक की नजर से देखने लगते हैं।
दिल जीत लिया पुलिस जवानों का
हनुमानगढ़ जिले के नवनियुक्त एसपी ने पुलिसकमिüयों को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने की घोषणा करके संवेदनशील अधिकारी होने का अहसास तो करा ही दिया है, इस पर अमल भी होना चाहिए। सप्ताह में एक दिन अवकाश मना कर लौटने वाले कर्मचारी अगले छह दिन और मुस्तैदी से काम करते हैं। जहां तक पुलिस जवानों का सवाल है तो उन्हें परिवार, समाज के लिए तो वक्त मिल नहीं पाता, नतीजा यह होता है कि वे पिता, भाई, दामाद के स्थान पर पुलिसकर्मी ही बने रहते हैं। हनुमानगढ़ में एसपी जब साप्ताहिक अवकाश संबंधी घोषणा कर सकते हैं तो श्रीगंगानगर में ऐसा क्यों नहीं हो सकता, पुलिस अमला जानना चाहता है एसपी से।
अंडरग्राउंड केबल भी करा लें
श्रीगंगानगर में सीवरेज प्लान की मंजूरी क्या हुई इसका श्रेय लेने की होड़ सी मच गई है। सारे बयान बहादुर भूल रहे हैं कि ये पçब्लक है सब जानती है। प्लान के लिए शहर में सड़कों की खुदाई का काम शुरू हो उससे पहले जिला प्रशासन को बिजली, टेलीफोन, पेयजल आदि दायित्वों से जुड़े विभागीय अधिकारियों का संयुक्त दल गठित कर देना चाहिए, ये विभाग ऐसी प्लानिंग करें कि सीवरेज प्लान के साथ ही सारे शहर में अंडरग्राउंड केबल का कार्य भी हो जाए। नगर परिषद को इन विभागों से सेवा शुल्क भी लेना चाहिए। तय हो जाना चाहिए कि सीवरेज प्लान के बाद 20 वर्षों तक बिजली, टेलीफोन, पेयजल आदि कनेक्शन के लिए सड़क नहीं खोदी जाएगी। यही सख्ती विवाह समारोह, जुलूस, रैली, आमसभा करने वालों पर भी लागू करनी होगी।
संकल्प लें नो वर्क सस्पेंड
हनुमानगढ़ में जिला बार एसोसिएशन के चुनाव हो गए। जो जीते और जो नहीं जीत पाए इन सभी को अब मिलजुलकर सदस्यों के हित के कार्य करना चाहिए। अपने सदस्यों, बार संघ के लिए जो भी योजनाएं बनाएं उसे निर्धारित कार्यकाल में पूरा भी कराएं। रहा संघ और आम लोगों के रिश्तों का संबंध तो बार संघ के पदाधिकारी यदि अपने कार्यकाल को स्वçर्णम बनाना चाहते हैं तो शपथ समारोह में यह संकल्प भी लें कि हर संभव प्रयास करेंगे कि वर्क सस्पेंड की नौबत नहीं आए वरना यह संघ भी गंगानगर के नक्शे कदम पर चलता नजर आएगा, जहां पदाधिकारियों के कार्य संभालते ही वर्क सस्पेंड का सिलसिला चल पड़ा था।
अगले हपते फैरूं, खम्मा घणी-सा...
www.pachmel.blogspot.com

1 comment:

  1. Dear Sir,

    Jgd....

    U have Written a Very Nice Article.....

    Fantabulous!


    AOL Ravi Adlakha
    Sriganganagar.

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