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Thursday 2 December 2010

...और चाबी खो जाए?

बिना चाबी का कोई ताला कंपनियां बनाती नहीं और बनाए तो कोई ग्राहक खरीदे भी नहीं। ताले और चाबी के बीच जो अटूट रिश्ता है वह यह भी सिखाता है कि यदि मुसीबत आई है तो उसका हल भी होगा ही। दिक्कत तो यही है कि जब मुसीबत आती है तो हमारे हाथ-पैर फूल जाते हैं। भाग्य और भगवान को दोष को देते हैं। तब हमारी जेब में रखी छोटी सी चाबी का भी ख्याल नहीं आता। तेज बहाव में डूबी नाव के ऐसे कई यात्री अपनी जान बचाने में सफल हो जाते हैं, जिन्हें तैरना तक नहीं आता और हिम्मत हार जाने या गलत फैसला लेने के कारण अच्छे तैराक की पानी में डूब जाने से मौत हो जाती है।
सामान खरीदने के दौरान याद आया कि सफर पर आना-जाना पड़ता है तो बैग के लिए एक ताला भी खरीद लिया जाए।
दुकानदार ने पांच-सात ताले सामने रख दिए और भाव भी गिना दिए। उसे लगा था कि मुझे घर के लिए बड़ा ताला खरीदना है, उसने लिहाजा बड़े ताले निकाले। हर ताले के साथ तीन चाबी बंधी हुई थीं। मैंने जब बताया कि सफरी ताला चाहिए तो उसने छोटे ताले बताना शुरू कर दिए। किसी के साथ दो तो किसी ताले के साथ तीन चाबियां थीं। तालों के भाव बताने के साथ ही वह इनकी चाबियों के फायदे भी बताता जा रहा था कि एक चाबी बैग के साथ बांधकर रख दीजिए, दूसरी चाबी घर में और तीसरी ऑफिस में सुरक्षित रख दीजिए। कभी एक चाबी गुम गई तो दूसरी मिल जाएगी। ताला तो खरीदना ही था, लेकिन उससे कहीं अधिक मुझे उसकी चाबियों संबंधी सलाह पसंद आई। हम सब के साथ ऐसा होता ही है कि चाहे अटैची की चाबी हो या गोदरेज अलमारी की या अन्य तालों की, हम सारी चाबियां एक जगह इकट्ठी रख देते हैं। कभी-कभी तो बड़ी हास्यास्पद स्थिति बन जाती है जब कोई एक चाबी गुम हो जाने पर एक जैसी चाबियों के ढेर में से दूसरी चाबी खोजने के लिए हमें एकएक कर सारी चाबियां लगाकर देखनी पड़ती हैं तब कहीं गुमी हुई चाबी वाली दूसरी चाबी मिल जाती है।
हमारे फ्रेंड सर्कल में भी हर दोस्त में कुछ न कुछ खासियत तो होती है, लेकिन कुछेक दोस्त ऐसे भी होते हैं, जिनके पास हर परेशानी का हल और हर समस्या के लिए गले उतर जाने वाला सुझाव भी होता है। ऐसे दोस्तों को हम मजाक में हर ताले में लगने वाली चाबी भी कह देते हैं।
ताले की उस दुकान पर जितनी भी देर रहा यह भी समझने को मिला कि बिना चाबी के कोई ताला खुल नहीं सकता और हर ताले के साथ चाबियां होती ही हैं। ना तो कंपनियां बिना चाबी के ताले बनाती हैं और न ही कोई ग्राहक बिना चाबी का ताला खरीदता है। चाबी नहीं होगी तो ऑटोमेटिक लॉक सिस्टम वाले बैग हों या अटैची सब के लिए कोड तो तय करना ही पड़ता है, जब आप कोड नंबर घुमाएंगे तभी ताला खुलेगा या बंद होगा। ताला चाहे पच्चीस रुपए का हो या हजार-पांच सौ का उसके साथ दो या तीन चाबियां तो रहती ही हैं, जो इसलिए होती हैं कि एक गुम हो जाए तो दूसरी या तीसरी का उपयोग कर लें। सारी ही चाबियां गुम जाएं तो फिर ताला तोड़ने या अटैची चाबी बनाने वाले सिकलीगर तक ले जाने का विकल्प भी है ही। ताले और चाबी के इस अटूट रिश्ते से यह सीख भी मिलती है कि यदि मुसीबत है तो उसके हल भी हैं। हम प्रयास जारी रखें, हिम्मत न हारे तो एक बार में नहीं तो दूसरे या तीसरे प्रयास में सफलता मिलेगी ही। जरूरत है तो समझदारी और धैर्य की या तो तीनों चाबियां इस तरह संभालकर रखें कि जरूरत पड़ने पर पता हो कौन सी चाबी कहां रखी है पर ऐसा होता नहीं है।
हम ताला खरीदने, उसका उपयोग करने में जितनी तत्परता दिखाते हैं, उतनी सजगता बाकी चाबियां संभाल कर रखने में नहीं दिखाते। जीवन में जब हमें मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तो हममें से यादातर लोग जो सारा दोष भाग्य को देकर हताश हो जाते हैं। भूल जाते हैं कि समस्या आई है तो हल भी साथ लाई होगी, तब हम याद रख लें कि ताला है तो चाबी भी होगी ही। हम ठंडे दिमाग से सोचें तो समस्या का हल भी मिल सकता है, लेकिन या तो हम हताश हो जाते हैं या जल्दबाजी में ताला तोड़ने जैसा कदम उठा लेते हैं जिससे या तो हमारी अटैची का या घर के दरवाजे का ही नुकसान होता है। मुसीबतों के ताले खोलने की चाबियां हम सब की जेब में ही होती है, लेकिन हम इन चाबियों का उपयोग करना ही भूल जाएं तो ताले का क्या दोष। ताले-चाबी की तरह ही मुसीबत और हल का भी अटूट रिश्ता है। यह ध्यान रख लें तो बड़ी से बड़ी समस्या हल की जा सकती है। यात्रियों को ले जा रही नाव जब अचानक डूब जाती है तो कई ऐसे यात्री लहरों से जूझते हुए सकुशल बच जाते हैं जिन्हें तैरना तक नहीं आता कोई इसे चमत्कार कहता है तो बाकी यह भी कहते हैं कि उसने हिम्मत नहीं हारी।

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