गोगामेड़ी मेला निर्विघ्न संपन्न हो जाए यह कामना गोगादेव से ही करनी चाहिए क्योंकि प्रशासन की गंभीरता तो नजर नहीं आ रही है। जिस तरह से बिजली, पानी, सफाई व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर çढलाई बरती जा रही है, उससे तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं का अनुभव अच्छा नहीं है। प्रशासन यह भूल रहा है कि ये लाखों श्रद्धालु सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कर रहे हैं। छोटे से गांव गोगामेड़ी में कम से कम 70 हजार श्रद्धालु तो हर दिन रहते ही है। यह संख्या मेले की खास तिथियों पर डेढ़-दो लाख को पार कर जाएगी। अभी जिस तरह सारे देश में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है उस दृष्टि से यहां कोई एहतियात नहीं बरती जा रही है। गोगामेड़ी के लिए चल रही स्पेशन ट्रेन, बसों और निजी वाहनों से हजारों श्रद्धालु आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ आ रहे हैं। स्थानीय सामाजिक संगठन इन श्रद्धालुओं की सेवा के साथ सांप्रदायिक सद्भाव के बंधनों को भी मजबूत कर रहे हैं। प्रशासन इन्हें सहयोग करने से क्यों कतरा रहा है, ये बात समझ से परे है।
रही बात जिला एवं पुलिस प्रशासन की तो मेले में भी पुलिसबल की सजगता कम ही नजर आ रही है। पार्किंग शुल्क के नाम पर मनमानी जैसी छोटी-मोटी अनदेखी किसी बड़े विवाद का रूप लेकर मेले की छवि बिगड़ने का कारण न बन जाए इसकी चिंता नजर नहीं आती। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत सरकार के लिए राजस्थान और आसपास के राज्यों से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं में अपनी संवेदनशील छवि दर्शाने का पहला अवसर है। श्रद्धालुओं को इससे कोई मतलब नहीं है कि मेले की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए संभागीय आयुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को गोगामेड़ी आने का वक्त क्यों नहीं मिल रहा। नवमी और दशमी को मेले में आस्था का सैलाब उमड़ेगा। शनिवार-रविवार का अवकाश होने से और अधिक दबाव रहेगा। उस दिन मंत्री या अन्य वीआइपी धोक लगाने आएं तो गोगामेड़ी में मेहरानगढ़ जैसी त्रासदी के हालात न बनें इस संदर्भ में अभी से सतर्कता बरतनी ही चाहिए। जोधपुर के देवी मेले में रही खामियां यहां किसी नए रूप में सामने न आए इसकी समीक्षा तो कम से कम अब तो कर ही लेनी चाहिए। क्योंकि नवमी-दशमी की तिथियां नजदीक ही है।
देश में पैर फैलाते जा रहे स्वाइन फ्लू को लेकर प्रधानमंत्री तो चिंतित हैं लेकिन इतने बड़े मेले में ऐसी कोई चिंता नजर नहीं आती जबकि आसपास के उन राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरह सफाई इंतजामों का भी बुरा हाल है। लाखों श्रद्धालु आएंगे तो नित्यकर्म भी करेंगे। यह अनिवार्य बातें प्रशासन को शायद पता नहीं है। हालत यह है कि रेल पटरियां, मेला क्षेत्र के खुले स्थानों पर गंदगी बढ़ती जा रही है। भीषण गर्मी, फैलती बदबू, सफाई का अभाव महामारी को निमंत्रण के लिए इससे ज्यादा और क्या चाहिए।
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