जिला कोर्ट भवन के बाहर, सड़क किनारे वर्षों से चाय-पान व फोटो कॉपी आदि की दुकानें संचालित करने वालों को अब स्व. जरनैलसिंह जैसा अधिवक्ता नजर नहीं आ रहा है। वर्षों पहले इन दुकानदारों को यहां से हटाए जाने के नोटिस दिए गए थे तब उन्होंने इनकी लड़ाई लड़ी थी, उस वक्त न्याय मंदिर के प्रति इन दुकानदारों की भी आस्था मजबूत हुई थी। आज परिषद ने जब कोर्ट का चेहरा दिखाने के लिए इन्हें हटाने का मन बना लिया है तब रास्ता नहीं सूझ रहा, न्याय के लिए कौन सा दरवाजा खटखटाएं। जिला प्रशासन ने यह कहकर हाथ ऊंचे कर दिए कि उसे तो कुछ पता नहीं है।पीढ़ियों से यहां व्यवसाय कर रहे इन दुकानदारों को यदि हटाने का संकल्प ले ही लिया गया है तो उजाड़ने से पहले इन दुकानदारों को विश्वास में लिया जाना चाहिए, ताकि ये खुद अपने हाथों से सामान समेट लें। वरना, न्याय मंदिर के बाहर यह मजाक ही होगा कि अपना पक्ष रखने के प्राकृतिक न्याय के अधिकार से लोग परिषद की मनमानी के कारण वंचित हो जाएं। गंगासिंह चौक से ए-माइनर तक फैले दुकानदारों को सड़क चौड़ीकरण व बेहतर यातायात के लिए हटाया जाना तो बहुत साहस का काम है, परिषद अमले ने कमर तो कसी। ऐसे अभियान को तो पूरे शहर में सख्ती के साथ चलाना चाहिए। एक जगह से खदेड़े गए रेहड़ीवाले कल किसी उद्यान, कॉलोनी में सड़कों के आसपास बैठे नजर नहीं आएं, यह अभी से सुनिश्चित करना ही चाहिए, वरना तो शहर से आवाज उठने लगेगी कि अधिकारियों के बंगले और कार्यालय तक चलकर ही क्यों थक जाते हैं बुलडोजर।परिषद आयुक्त तब यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि हमने तो कलेक्टर के निर्देश पर कार्रवाई की थी। अच्छा होगा कि कार्रवाई का साहस दिखाने से पहले रेहड़ीवालों को अन्यत्र बसाहट की समझ दिखाई जाए। जिला प्रशासन के आदेश पर आंख मूंद के अमल करने से पहले यह भी ध्यान रखा जाए कि धृतराष्ट्र और कुंती ने आंखें मूंदे रखीं, भीष्म हस्तिनापुर के प्रति निष्ठावान रहे और इन सब ने नाइंसाफी की जो निरंतर अनदेखी की, वही महाभारत का कारण बनी। आदेश का पालन होना चाहिए, लेकिन पैर में फोड़े का आसान उपचार यह नहीं हो सकता कि पैर ही काट दिया जाए।
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ReplyDeleterana ji,
ReplyDeletepehle akhbaar main or blog main.
dono main aap end (aakhir)main yeh baat jaroor likhte thae अगले हपते फैरूं, खम्मा घणी-सा....
lekin iss baar akhbaar or blog dono main hi aapne aisa kucch bhi nahi likhaa hain.
please note this.
खम्मा घणी-सा....
ReplyDeleteIS AALEKH KE LIYE NADHAI. IN VAYVSAIYO KI DUKANO KO SADAK CHODI KARNE KI KHATIR YAHA SE HATAYA JA RAHA HAI TO MERA MANNA HAI KI INKE GHAR UJADNE SE PAHLE SARKAR KO INKE LIYE ALAG JAGAH KI VAYAVSTHA KARNI CHAHIYE. अगले हपते फैरूं, JARUR LIKHE