tag:blogger.com,1999:blog-5780097175660780516.post2859326721628960558..comments2022-11-26T02:07:42.336-08:00Comments on पचमेल...: काम तो अपने ही आएंगे,पैसा नहींकीर्ति राणाhttp://www.blogger.com/profile/06234677265930273726noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5780097175660780516.post-21193670215176023382010-06-10T00:01:48.821-07:002010-06-10T00:01:48.821-07:00niceniceरौशन जसवाल विक्षिप्तhttps://www.blogger.com/profile/02927646540761405419noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780097175660780516.post-59833980603242316502010-06-05T10:07:08.000-07:002010-06-05T10:07:08.000-07:00please ye bataaiye ki--agar main sirf dainik bhask...please ye bataaiye ki--agar main sirf dainik bhaskar, main mall road, shimla, H.P. likhkar daak bhej dungaa to kya wo aapko mil jaayegi???<br />thanks.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780097175660780516.post-84460081810706276862010-06-05T10:05:34.363-07:002010-06-05T10:05:34.363-07:00बहुत बढ़िया सीख दी हैं आपने.
लेकिन ये भी एक कटु और ...बहुत बढ़िया सीख दी हैं आपने.<br />लेकिन ये भी एक कटु और बड़ा सत्य हैं कि--"पैसा सब कुछ भले ही ना हो, लेकिन बहुत कुछ जरूर हैं."<br />बाकी अपना-अपना नज़रिया हैं.<br />धन्यवाद.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780097175660780516.post-43102792515708751832010-06-03T11:30:57.211-07:002010-06-03T11:30:57.211-07:00काम तो अपने ही आएंगे, पैसा नहीं। श्रद्धेय कीर्ति र...काम तो अपने ही आएंगे, पैसा नहीं। श्रद्धेय कीर्ति राणा जी सर, आज बहुत दिनों बाद यंू लगा कि वीरवार के दिन दैनितक भास्कर में आपका पचमेल पढ़ रहे हैं। आलेख क्या है...पूरा चित्र उभर कर आ गया...पढ़ा नहीं है जैसे देखा है फिल्म की तरह। आपकी कलम का मैं कायल हंू। आप बहुत सरल, सहज और मन के भीतर की बात लिखते हैं। पहले वो पहाड़ की चढ़ाई वाली बात याद आ रही है कि ऊंचाई तक पहुंचने के लिए झुक कर चलना पड़ता है। तभी हम अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं। और आज छाते वाली बात कि खुद भीगकर दूसरे को बचाता है। आपको बहुत बहुत बधाई राणा जी सा। आपकी बहुत याद आती है। इन दिनों तो फोन भी नहीं कर पाया। खैर। और आप सुनाओ....आपके एस.एम.एस. भी नहीं आते आजकल। आपके भेजे एस.एम.एस. मेरे लिए प्रेरणास्रोत हैं। मैँने कई बार बच्चे को पढ़ाए...उसे भी बहुत अच्छे लगे। फिर से बधाई। अच्छे लोग बिछुड़ते हैं तब दुख होता है और बुरे लोग मिलते हैं तब दुखी करते हैं। कुछ लोग कोयले की तरह होते हैं....जलते हैं तो सामने वाले को जला देते हैं और बुझे होते हैं तो सामने वाले को काला कर देेते हैं। लेकिन फिर भी कोयला भले ही काला है.बाहर से भी और अंदर से भी। ..ऐसा है तो भी यह दूसरों के लिए जलता है...लेकिन आदमी का आजकल पता ही नहीं चलता है।<br />मेरा नया ब्लॉग देखना। मैंने मेरे ब्लॉग में आपके ब्लॉग को लिंक कर रखा है। एक नया और बनाया है सांप सीढ़ी डॉट ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम....एक है गट्टारोळी डॉट ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम...दीनदयाल शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07486685825249552436noreply@blogger.com